नवलगढ़ विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के द्वारा आज संयोजक कमल किशोर पँवार के नेतृत्व में जनसंख्या समाधान अधिनियम संसद में पारित करने हेतु प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन उपखण्ड अधिकारी को सौपा । इस अवसर पर बातचीत करते हुए बताया जिस प्रकार से जनसंख्या का विस्फोट भारत मे हो रहा है उसे देखते हुए राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए यह कानून देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होना चाहिए साथ ही इसमें इस प्रकार की व्यवस्था होनी चाहिए कि यदि कानून का उलंघन किया जाए तो जो सरकार द्वारा सुविधाओं अथवा योजनाओं का लाभ सम्बंधित व्यक्ति को मिल रहा है उससे उसे वंचित किया जाये । इस अवसर पर प्रमोद बलौदा ने कहा प्रकृति के संसधान सीमित है और जनसंख्या विस्फोट से इनका दोहन अधिक हो रहा है इसलिए इस प्रकार के कानून के लागू होने से प्रकृति भी संतुलित रहेगी । कामेश्वर प्रसाद ने कहा इस प्रकार के कानून को हर क्षेत्र में लागू किया जाए जैसे सरकारी नोकरी, सरकारी सुविधाएं, राजनीतिक क्षेत्र, अनुदान अथवा अन्य किसी प्रकार के लाभ से कानून तोड़ने वालों को वंचित किया जाए । ज्ञापन के माध्यम में उल्लेख किया गया "टाइम्स हायर एजुकेशन ऑफ लंदन" संस्था के रस में विश्व के कई नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने मानव अस्तित्व को सबसे बड़ा खतरा बेतहाशा बढ़ती हुई जनसंख्या और प्रदूषण से बताया है। भारत के परिप्रेक्ष्य में तो यह खतरा और भी अधिक गंभीर हो जाता हैए क्योंकि विश्व का केवल 2.4% भूभाग हमारे पास है और विश्व की कुल लगभग 790 करोड़ जनसंख्या का 17.74% अर्थात 140 करोड़ से भी अधिक आबादी का भार हम भारत की भूमि पर वहन कर रहे हैं। विश्व के क्षेत्रफल के सापेक्ष भारत के क्षेत्रफल के आधार पर हमारी आबादी 20 करोड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही यह मांगे प्रमुख रही ।
1. सरकार जनसंख्या के उचित समाधान के लिए ऐसा कानून बनाए जिसमे भ्रम की स्थिति ना रहे और जातिए धर्मए क्षेत्र व भाषायी कानों से ऊपर उठकर राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए यह कानून देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू हो।
2. इस कानून के सभी दंडात्मक प्रावधान कानून अधिसूचित होने की तिथि के एक वर्ष के पश्चात कानून तोड़कर दूसरी जीवित संतान से अधिक बच्चे को उत्पत्ति करने वाले जैविक माता पिता पर लागू हो। कानून बनने के पूर्व में उत्पन्न दो से अधिक संतानों के मामले में किसी भी नागरिक पर किसी भी रूप में यह कानून लागू नहीं होगा।
3. जनसंख्या समाधान विषयक कानून अधिसूचित होने की तिथि के एक वर्ष के पश्चात कानून तोड़कर दूसरी से अधिक संतान उत्पन्न करने वाले दंपत्ति को सरकार द्वारा मिलने वाली सभी प्रकार की सहायता एवं अनुदान आदि समाप्त किए जाने का प्रावधान कानून में किया जाए।
4. वर्तमान में राजकीय सेवा में नियोजित दो या दो से अधिक बच्चों वाले माता पिता सरकार द्वारा कानून अधिसूचित होने की तिथि के एक वर्ष के पश्चात कानून तोड़कर अगली संतान की उत्पत्ति करने पर अपने पद पर नहीं बने रह सके तथा भविष्य में नियाजित किये जाने की पात्रता भी समाप्त हो जाए ऐसा प्रावधान कानून में किया जाए।
5. कानून अधिसूचित होने की तिथि के एक वर्ष के पश्चात कानून तोड़कर दूसरी से अधिक शतान उत्पन्न करने वाले जैविक माता पिता व संतान को जीवन पर्यन्त मताधिकार एवं किसी भी प्रकार की चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से दचित किया जाए।
6. कानून का एक बार उल्लंघन करने के बाद दोबारा उल्लंघन करने अर्थात चौथी संतान की उत्पत्ति की
स्थिति में पिछले प्रावधानों के साथ.साथ दपत्ति को 10 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान किया जाए ताकि
चौथी संतान के बारे में कोई नागरिक स्वप्न में भी ना सोच सके।
7. दंपत्ति को प्रथम बार में जुड़वाँ संतान उत्पन्न होने की स्थिति में परिवार पूर्ण माना जाए और अगली सवान की उत्पत्ति कानून का उल्लघन मानी जाए दूसरे बच्चे के समय जुगाँ सतान होना एक अपवाद मानकर ऐसी स्थिति में कानून प्रभावी ना हो।
8. जातिए धर्म संप्रदायों से ऊपर उठकर यह प्रावधान स्पष्ट रूप से रहे कि पहली शादी से दो जीवित संतानों के साथ तलाक होने की स्थिति में स्त्री या पुरुष में से कोई भी दूसरी शादी के बाद संतानोत्पत्ति के अधिकारी नहीं रहेंगेण भले ही दूसरे जीवनसाथी को पहले से अथवा पहली शादी से कोई संतान ना हो अगर एक बच्चा हो तो केवल एक बच्चे की उत्पत्ति का अधिकार रहे।
उपरोक्त प्रावधानों के क्रियान्वयन हेतु अगर आवश्यक हो तो संविधान में उपयुक्त संशोधन किया जाए। चूंकि जनसंख्या वृद्धि से उपजा संकट नाभिकीय युद्ध के संकट से भी विकट साबित हो रहा है इसलिए आप जैसे क्षमतावान व राष्ट्रभक्त नेतृत्व से यह अपेक्षा है कि आप इस गंभीर समस्या के एकमात्र उपाय जनसंख्या समाधान अधिनियम पर मंत्रिमंडल समूह में आवश्यक चर्चा कराकर आगामी सत्र में ही उसे पारित करके लागू कराने की कृपा करें।
9. बहुविवाह एक से अधिक पत्नी एवं बहुपतित्य विवाहों के मामले में कहीं कोई भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए। अगर कानूनन भी कोई पुरुष एक से अधिक पत्नी रखता है और उन्हें तलाक देकर अदल बदल करते हुए अपने जीवनकाल में अनेक शादिया करता है तो उसे सभी पलियों के माध्यम से अलग अलग दो दो बच्चे पैदा करने की छूट नहीं दी जा सकती। किसी एक या दो पत्नियों से कुल दो बच्चों की उत्पत्ति पर ;पनियों पतियों की संख्या जो भी होद्ध परिवार पूर्ण माना जाए। कुल मिलाकर पत्नियों अथवा पतियों की संख्या कितनी भी क्यों ना होए उसे एक परिवार मानते हुए बच्चों की कुल संख्या 2 से अधिक होना कानून का उल्लंघन माना जाए।
10. पूर्वोत्तर भारत के राज्यों अंसमए सिक्किमए अरुणाचल प्रदेशए नागालँड मिजोरमए मणिपुरए मेघालय एवं त्रिपुरा की मूल धार्मिक जनजातियों की जनसंख्या अवैध घुसपैठ के कारण अनुपातिक रूप से घटते जाने के कारण कुछ निश्चित समय के लिए यहां की मूल धार्मिक जनजातियों को जनसंख्या नियंत्रण कानून की परिधि से बाहर रखा जाए। अवैध घुसपैठ के पश्चात स्थानीय लड़कियों से शादी करके यहीं बस जाने वाले किसी भी बाहरी व्यक्ति / घुसपैठियों को किसी प्रकार की छूट नहीं मिलनी चाहिए।
ज्ञापन देने वालो में योगेंद्र मिश्रा,रामनिवास सैनी, बाबूलाल शर्मा, सज्जन सोनी, मुरली मनोहर चोबदार, कामेश्वर प्रसाद सैनी ,कृष्ण कांत डीडवानिया, मनोज सोनी, कृष्ण गोपाल जोशी, प्रताप पूनिया, सुमन कुलहरी ,मोहन लाल चूड़ीवाल, फूलचंद सैनी ,भंवरलाल जांगिड़ ,सीताराम घोड़ेला, सुनील नायक, रामस्वरूप घुघरवाल,फूलचंद वर्मा,डॉ महेंद्र, प्रमोद बलौदा, शब्द प्रकाश बियान, सायर असवाल,दीपक सांखला,गोवर्धन लाल वर्मा सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे ।
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