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सोने जा रहे हैं भगवान विष्णु, नहीं होंगे मांगलिक कार्य Devshayani Ekadashi

सोने जा रहे हैं भगवान विष्णु, नहीं होंगे मांगलिक कार्य Devshayani Ekadashi

हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी का बहुत महत्त्व है। वैसे तो हर महीने में दो एकादशी पड़ती है लेकिन योगिनी एकादशी के बाद श्रद्धालुओं को देवशयनी एकादशी का इंतजार रहता है। देवशयनी एकादशी बड़ी एकादशी मानी गई है। इस बार यह एकादशी 10 जुलाई, दिन रविवार को मनाई जा रही है। देवशयनी एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है।  ऐसे में दशमी तिथि की रात्रि के भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगले दिन प्रात: काल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत होकर व्रत का संकल्प करना चाहिए।

हिंदू धर्म में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की काफी महिमा बताई गई है। इसे देवशयनी एकादशी (हरिशयनी एकादशी) भी कहा जाता है।  इस बार 10 जुलाई (रविवार) को देवशयनी एकादशी पड़ रही है। इस दिन से गृहस्थ लोगों के लिए चातुर्मास नियम प्रारंभ हो जाते हैं। देवशयनी एकादशी नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन श्रीहरि शयन करने चले जाते हैं। फिर चार महीने बाद यानी कि देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन जो कि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है,उस दिन जागते हैं।

मान्यता है कि चातुर्मास के दौरान हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम जैसे शादी, विवाह और धर्म से संबंधित अन्य संस्कार करना वर्जित माना जाता है।  जब तक जगत के पालनहार भगवान विष्णु निद्रा में लीन रहते हैं तब तक भगवान शिव और अन्य देवी देवता सृष्टि का संचालन करते हैं। विष्णु भगवान जब चार महीने बाद देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन जब जागते हैं तो माना जाता है कि सभी देवी-देवताओं ने भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सभी देवी-देवता भगवान विष्णु के जागने की ख़ुशी में धरती पर आकर दीवाली का जश्न मनाते हैं। इस कारण से इस दिन ही देव दीवाली मनाने की शुरुआत हुई।
ओम नमो नारायण 🙏

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