गुड़ा में सोमवार को भील राणा पूंजा की जयंती आदिवासी नवयुवक मंडल गुड़ा द्वारा मनाई गई। जयंती समारोह के मुख्य अतिथि आदिवासी नेता ब्रह्मदत्त मीणा ने कहा कि मेवाड़ की आज़ादी और हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप को सबसे मजबूत सहयोग भील आदिवासी समाज का मिला, जिसका नेतृत्व राणा पूंजा भील ने किया था।
मीणा ने बताया कि झडोल के भोमट परगने के पानरवा गांव के भील राजा पूंजा ने महाराणा प्रताप के साथ जान की बाजी लगा दी थी ,उन्होंने ही महाराणा के परिवार की रक्षा की थी ,इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि जब हल्दीघाटी युद्ध के उपरांत प्रताप अपनी मां को लेने पानरवा पहुंचे तो उनकी मां ने कहा कि -पूंजा भी तुम्हारी तरह मेरा पुत्र है और उसको मेवाड़ महाराणा के बराबर आदर सत्कार देते रहना। इसके फलस्वरूप मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ महाराणा और दूसरी तरफ भील राणा पूंजा को अंकित किया गया और आज भी पूर्व राजपरिवार में राजतिलक जैसी प्रथा भील सरदार के पांव के अंगूठे के रक्त से किया जाता है।
नवयुवक मंडल के महेश मीणा ने कहा कि भील समाज एक स्वाभिमानी समाज रहा है और उसे आज़ादी सदैव प्रिय रही है, पूंजा भील ने महाराणा की जो मदद की, उसके लिए मेवाड़ ही नही बल्कि पूरे मुल्क को उनका आभारी रहना चाहिए। पूंजा जयंती के इस कार्यक्रम में राकेश मीणा , लोकेश मीणा ,राजेन्द्र मीणा , अशोक मीणा , छाजुराम मीणा , रवि मीणा , संदीप मीणा , जितेन्द्र मीणा, कमलेश मीणा सन्तोष सैनी विकास जांगिड़ राहुल शर्मा सहित दर्जनों लोग मौजूद थे
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