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श्री शिद्धेश्वर महादेव मंदिर आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा का छठा दिन

श्री शिद्धेश्वर महादेव मंदिर आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन भगवान श्री कृष्ण का बाल रूप दर्शन करने स्वयं कैलाशपति भगवान शिव शंकर जोगी भेष में आए तब यशोदा मैया ने कहा आपको देखकर बालक डर जाएगा वापस जाओ तो भगवान भोलेनाथ के जाने के बाद कन्हैया रोने लगे तब माता को लगा कि वह जोगी ही कुछ टोना कर गया किंतु भगवान श्री कृष्ण तो स्वयं भोले बाबा से मिलना चाहते थे अतः जोर जोर से रोने लगे तब मैया ने भोलेनाथ को सादर घर बुलाकर कान्हा से दर्शन व स्पर्श करवाया तो कान्हा चुप होकर हंसने खेलने लगे बहुत ही सुंदर बाल लीलाओं का वर्णन किया गया माखन चोरी का संदेश था कि अपने बच्चों को बलवान बनाओ माखन बेचकर राक्षसों को नहीं, यही उद्देश्य मटकी फोड़ने का था पूतना जब कन्हैया को मारने आई तो श्रीकृष्ण ने आंखें बंद कर ली क्योंकि वह स्त्री संघार नहीं करते थे दूसरा उसने मां की तरह दूध पिलाने का वरदान मिला था तीसरा भोलेनाथ को मन में याद कर रहे थे कि आपने समुद्र मंथन मैं कलकुट विष पिया था यह दूध में पीलू प्रभु जहर तो आप ही धारण कर सकते हैं नीलकंठ महादेव मुंह में, कन्हैया ने माटी खाई और सारा ब्रह्मांड मैया को दिखाया जब मैया बेहोश होने लगी तो अपनी लीला को समेट लिया तो मैया यशोदा सब भूल गई। शखाओं के साथ खेलना गोपियों को नाच कर दिखाना बांसुरी की धुन पर सभी को नचाना वह गोवर्धन पर्वत को धारण कर इंद्र का अभिमान पेड़ पौधों पर्वतों की रक्षा वह सभी ग्राम वासियों की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझा और गायों कि वह सभी गोकुल वासियों की रक्षा की। पर्वत बचेंगे तो ही गाय बचेगी। जब भगवान इंद्र ने तेज वर्षा की तो कन्हैया ने छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर सब को उसके नीचे सुरक्षित किया तो सुदामा बोला कन्हैया पर्वत अकेले तुमने नहीं उठाया हमने भी लाठी लगा रखी थी भक्ति में ही इस कथा श्रीमद् भागवत में रात्रि चंद्रमा की चांदनी में महाराज का आयोजन होता था सभी गोपियां नाचते आनंद हो जाते कथा व्यास ऋषिराज शास्त्री का श्रीमद्भागवत का पूजन यजमान डॉक्टर सुमन कुलहरी गढ़वाल श्री राजू जी प्रदीप मंडल से महेंद्र जी ददरवाल राजेश कटेवा रिंकू भिवानी गोयल साहब भिवानी टिंकू भिवानी से पधारे। सभी भक्तों ने भावपूर्ण किया सभी माताओं बहनों श्रोताओं ने कथा सुनकर तालियां बजाकर नृत्य करते हुए बाल लीलाओं का आनंद लिया साथ ही श्री सिद्धेश्वर आश्रम में सिरदला अखाड़ा के पधारे हुए सभी संतों का रुद्राक्ष की माला दुपट्टा सोल उठाकर महेंद्र चेतन दास जी महाराज वसंत अविनाश जी महाराज ने स्वागत सम्मान किया संत शांतिनाथ जी महाराज संत विश्वनाथ जी महाराज संत देव नाथ जी महाराज संत दया नाथ जी महाराज की है भानी नाथ जी महाराज महंत राम नाथ जी महाराज महेंद्र श्री नाथ जी महाराज विक्रम नाथ जी महाराज बालाजी भगत परसरामपुरा गौतम नाथ जी महाराज ब्रह्मचारी गणेश चतुर्थी महाराज ने सैकड़ों की संख्या में श्रोता वसंत कथा श्रवण कर अपने लाभ कमाया इसी बीच गोवर्धन जी की झांकी राधा कृष्ण भगवान की झांकी का वर्णन मंत्रोच्चारण के साथ शास्त्री की आरती शांति कथा सुनने से क्या लाभ मिलता है भागवत कथा में आता है सुर दुर्लभ सब ग्रंथन  गाबा।

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