सर्वप्रथम, ईश्वर स्वरूपा, पूजनीय प्रभुपाद पुजारी बाबूलाल जी की आत्मा की शांति के लिए प्रभु से मेरी प्रार्थना है।
दोस्तों, संविधान निर्मित संस्थाओं पर हमें विश्वास होना चाहिए। जो कि डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में निर्मित किया गया था। न्याय के लिए संघर्ष किया जा सकता है, परंतु न्याय मिलता जरूर है। क्योंकि सांच को आंच नहीं होती है।
यहां हमें यह बिल्कुल भी बात नहीं करनी चाहिए कि पुजारी जी को जलाने वाले अपराधी की जाति क्या है, जैसलमेर में नाबालिक बच्ची के साथ रेप करने वाले अपराधी की जाति क्या है ? क्योंकि इस प्रकार के कुकृत्यों से धर्म और राष्ट्र की हानि होती है।
अपराधियों की कोई जाति नहीं होती है। सभी को धैर्य रखते हुए सरकार में विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि सरकार जनता द्वारा ही चुनी होती है, चाहे वह सरकार कहीं की भी हो।
रही बात पुजारी जी की हत्या की तो इसे जमीनी विवाद बताया जा रहा है । परंतु जमीन पुजारी जी की नहीं थी। पुजारी जी तो उसके रखवाले थे बिचारे। जमीन तो मंदिर मूर्ति की थी। जो कि डेढ़ सौ साल पहले #सामंतों ने उन्हें दी थी ।
दुर्भाग्य है कि जिन गरीब #ब्राह्मणो व पुजारियों को मंदिर की देखभाल व जीवन यापन के लिए जमीनें दी जाती थी। वही जमीने आज छीनी जा रही है। याद है वह समय जब ब्राह्मण की हत्या पर क्या सजा का विधान हुआ करता था ? शास्त्र उठा करके पढ़ लीजिए ।
हाथरस प्रकरण में विशेष वर्ग का चिल्ला चिल्ला कर उल्लेख किया गया। यहां पर अपराधी किस वर्ग के थे, क्यों मुंह में दही जम गया लगता है ?
वैसे धन्यवाद भारतीय मीडिया का यदि हाथरस प्रकरण में उनकी निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठते और उल्टे बांस बरेली नहीं होते, तो वे कभी भी करौली नहीं जाते। अब वह कुछ दिन अपने आप को निष्पक्ष दिखाने के लिए ऐसी स्टोरीज कवर करेंगे । परंतु समझने वाले सब समझते हैं कि अंदरुनी एजेंडा क्या है ?
जो नेता लोग सपोटरा करौली गए उनका भी धन्यवाद, क्योंकि हाथरस में एक दल गया तो सपोटरा में दूसरा दल चला गया। राजनीति करते रहिए, सभी दल एक जैसे होते हैं। जिसका जहां मौका लगता है, कोई नहीं चूकता। राजस्थान में विपक्षी दल द्वारा हाथरस कांड का टिट फॉर टेट करौली में किया जा रहा है । यहां कबीर का एक दोहा स्मरण में आ गया कि,,,,,
करता था सो क्यों किया, अब करी क्यों पछताए।
बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से खाए।।
यहां प्रदर्शित तस्वीरों में भी दिख रहा है की पुजारी जी कितने अमीर रहे होंगे ? जो कि आज भी संविधान प्रदत्त सुविधाओं में समान वितरण के लाभ का भरपूर फायदा ले रहे थे।
पुन: अश्रुपूरित बाबूलाल जी पुजारी को श्रद्धांजलि ।🙏🙏🙏
सादर।।

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