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राजस्थानी स्वर कोकिला सीमा मिश्रा और कवि सज्जन लाल जी वैध का अभूतपूर्व सम्मान Unprecedented honour given to Rajasthani voice Nightingale Seema Mishra and poet Sajjan Lal Ji Vaidya

राजस्थानी स्वर कोकिला सीमा मिश्रा और कवि सज्जन लाल जी वैध का अभूतपूर्व सम्मान

राजस्थानी साहित्य के द्रोणाचार्य जनकवि स्व. श्री बजरंग लाल जी पारीक "लाल" के 108वें जन्मोत्सव पर विराट कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह 

नवलगढ़ : जनकवि स्वर्गीय बजरंग लाल पारीक लाल के 108वें जन्मोत्सव पर नवलगढ़ के कूलवालों कोठी के सभागार में आयोजित किया गया । 

कार्यक्रम की अध्यक्षता ठाकुर आनंद सिंह शेखावत, मुख्य अतिथि नगर पालिका उपाध्यक्ष कैलाश चोटिया ने की, वशिष्ठ अतिथि जनकवि के जेस्ट पुत्र हरिप्रसाद  पारीक नीरव राजस्थानी थे, मंचासीन अतिथियों में वरिष्ठ साहित्यकार सज्जन लाल वेद व राजस्थानी स्वर कोकिला सीमा मिश्रा मौजूदथे ।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रजनन के साथ हुई तत्पश्चात सरस्वती वंदना ऊषा मानसिंहका ने की, सम्मान समारोह की श्रृंखला में वरिष्ठ साहित्यकार सज्जन लाल  वेद ( रतनगढ़ ) व राजस्थानी स्वर कोकिला सींमा मिश्रा का भव्य सम्मान किया गया ।
सीमा मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जनकवि लाल की अमर कृति चांद चढ्यो गिगनारका से ही मेरी कैरियर की शुरुआत हुई जैसे चांद गिगनार पे चड्ढा वैसे ही मेरा कैरियर गिगनार में चढ़ा, आज मैं  जिस बुलंदियों पर हूं वो सब जन कवि लाल के अमर- कृति  की बदौलत है, आने समय में जनकवि लाल के काफी गीतों को श्रृंखला- बद्व कर जल्द ही जनता जन-मानस के बिच उपलब्ध कराया जाएगा ।
अपने सभी गाये गीतों को एक-एक मुखड़ा कार्यक्रम में प्रस्तुति देकर उपस्थित जनसमूह को भाव-विभोर कर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजायमान कर दिया ।
दुसरे सम्मानित वरिष्ठ कवि सज्जन लाल वैध रतनगढ़ अपने अंदाज में छोटे छोटे राजस्थानी कहावतों और छन्दो के माध्यम से उपस्थित जनसमूह को आनंदित कर साहित्य को जन-मानस के समक्ष परोसा और अपने प्रस्तुति से सभी को झकझोर दिया ।
श्रीमाधोपुर मऊ से आये राजस्थानी साहित्यकार श्री मानसिंह शेखावत अपनी राजस्थानी व्यंग्य शैली से श्रोताओं को इस प्रभावित किया ।
सीकर की धरा से पधारे श्री तेजसिंह जी राठौड़ ने 
अपनी प्रसिद्ध रचना ..............
थे बेट्यां न नहीं राखी तो, 
गीतांं री ओल्यां कुण गासी |
बेटां सूं सारो जग भरस्यो ,
बांकै राखी बांधण कुण आसी । 
सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जनकवि के छोटे पुत्र श्रीकान्त पारीक "श्रीराजस्थानी" अपने पिताजी "प्रीतम नै पाती" ,  "नवल मायरो", "कुणजीत्यो" और जनकवि का संक्षिप्त परिचय
जनसमूह के साथ सांझा किया । और जल्द ही अगले 109वें जन्मोत्सव पर पूरा प्रकाशन पुनः मुद्रित करवाकर जनता जनार्दन को सुपुर्द कर दिया जाएगा ।
जनकवि के ज्येष्ठ पुत्र और, साहित्यक उत्तराधिकारी अपने चिर-परिचित अंदाज़ में मुक्तको के माध्यम से श्रोताओं से मुखातिब हुए।
मुख्य अतिथि नगरपालिका उपाध्यक्ष कैलाश चोटिया ने अपने उद्बोधन में कहा जनकवि का अमर-गीत "चांद चढ्यो गिरनार* मैं मुम्बई, कलकत्ता, देश के किसी कोने में जाते हैं तो यह गीत लोग फरमाइश करके चाव से सुनते हैं और खासतौर पर फाल्गुन महिने में हर शहर गांवों के कार्यक्रम में चाव से पसंद किया जाता है ।
समारोह के अन्त में अध्यक्षता कर रहे श्रीमान ठाकुर आनन्द सिंह शेखावत ने कहा कवि की लेखनी सदा-सर्वदा अमर रहती है । राजस्थानी साहित्य के द्रोणाचार्य जनकवि बजरंग लाल जी पारीक साहित्य के नवरसों पर अच्छी पकड़ रखते हैं, उनकी अनेकानेक रचनाएं ख्याति प्राप्त है ।
कवि सम्मेलन और सम्मान, समारोह का ऐतिहासिक संचालन गोविन्द मिश्रा ने अपने हास-परिहास अंदाज में किया । अन्त में जनकवि लाल के सुपुत्र  रमाकांत पारीक ने सभी आगन्तुक महानुभावों का आभार व्यक्त किया ।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में कूलवाल कोठी के इन्चार्ज  रामशरण सिंह शेखावत,समस्त स्टाफ के साथ एवं  ओमप्रकाश मिंतर, प्रहलाद जोशी , कालूराम  झाझड़िया , सज्जन कुमार जोशी, मेज़र डी.पी.शर्मा काशी नाथ  मिश्रा, इन्जिनियर भंवरलाल जी जांगिड़ , मोरारका हाॅस्पिटल के संजय शर्मा, सीता राम घोड़ेला , सुरेश जांगिड़, अनिल पारीक पिल्लो , बजरंग लाल शर्मा , बाबूलाल शर्मा , रमाकांत सोनी, रिद्धकरण बासोतिया , प्रवीण बासोतिया, राजेश जैन, मुरली मनोहर चोबदार , सुरेश सोनी , प्रदीप जोशी, वैध रामकृष्ण जी सोनक, रतन नारनौलिया नवलगढ़ के समस्त पत्रकार व मिडिया बन्धु नगर के समस्त साहित्यकार बन्धु काफी संख्या में नगर के गणमान्यजन और मातृशक्ति उपस्थित थे ।

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