गहलोत सरकार से है आशा नहीं होगा बड़ा आंदोलन प्रदेश की जनता त्ररस्त संतो ने कसी कमर
जो माँ का नहीं वो किसका होगा_ दिनेश गिरी
गाय से गांव बसे है। नदियों के किनारे गांव बसे और गांवों से हमारी सभ्यताओं का जन्म हुआ है सन्तो के जीवन के तप से उपजी गोसेवा की परम्परा हजारों वर्षों से अनवरत चलती आ रही है कम शिक्षित हमारे बुजुर्गों का सामाजिक विज्ञान इतना मजबूत था कि जिंदगी का तमाम ताना-बाना इसमें गूंथा था। ओरण-गोचर-जोड़ सभी सामाजिक परम्परा का हिस्सा रहे। हर जीव के प्रति एक सोच थी लेकिन बदले दौर ने बुजुर्गो की सभ्यताओं और उनके समाज विज्ञान को बिसरा दिया। नतीजा सामने है कि आज जिस गाय में 36 कोटी देवताओं का वास है,उसके प्रति भी मानव, दानव होने की दिशा में है।
क्षेत्र की बरसों पुरानी पिंजरापोल गोशाला की सैकड़ों बीघा गोचर पर कब से इन भू-माफियों की नजर है। कब्जे के प्रथम प्रयास 2011 से ही "राजस्थान गोसेवा समिति" विरोध में डट कर खड़ी हुई थी और रहेंगी। जिस माँ के दुध के हम कर्जदार है,उसके कर्ज के तले आज हम सब एक साथ खड़े है। जिला प्रशासन व सरकार को सांकेतिक विरोध का संकेत दे रहे है लेकिन गर सरकार फिर भी गोचर को बचाने की दिशा में पहल नहीं करती तो लोकतांत्रिक विरोध का एक लंबा दौर तब तक जारी रहेगा, जब तक इन भू-माफियों पर सरकार सख्त कार्रवाई नहीं करती।
- महंत दिनेशगिरि प्रदेश अध्यक्ष राजस्थान गो सेवा समिति भाजपा नेता महेश बसावतिया
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