विहिप स्थापना एंव स्वामी लक्ष्मणानंद बलिदान दिवस कार्यक्रम आयोजित
सनातन संस्कृति के पुरोधा थे स्वामी लक्ष्मणानंद
श्री हीरानाथजी आश्रम डूंडलोद मे स्वामी जीतनाथजी एंव सत्यवीर नाथजी के संत सान्निध्य मे विहिप स्थापना एंव स्वामी लक्ष्मणानंद बलिदान दिवस मनाया गया प्रारंभ मे दीप प्रज्वलन कर स्वामी जीतनाथजी की अगुवाई मे स्वामी लक्ष्मणानंद को पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात विश्व हिंदू परिषद धर्मप्रसार प्रान्त प्रमुख सीएम भार्गव ने विहिप स्थापना के उद्देश्यों को बताने के पश्चात सनातन संस्कृति के पुरोधा स्वामी लक्ष्मणानंद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कंधमाल उड़ीसा का वनवासी बहुल पिछड़ा क्षेत्र है। पूरे देश की तरह वहां भी 23 अगस्त, 2008 को जन्माष्टमी पर्व मनाया जा रहा था। रात में लगभग 30-40 जल्लादों ने फुलबनी जिले के तुमुडिबंध से तीन कि.मी दूर स्थित जलेसपट्टा कन्याश्रम में हमला बोल दिया। देवतुल्य स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या करदी थी। वे गत 45 साल से वनवासियों के बीच चिकित्सालय, विद्यालय, छात्रावास, कन्याश्रम1966 में प्रयाग कुुंभ के समय संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी प्रेरणा से उन्होेंने उड़ीसा के फुलबनी कंधमाल के घने जंगलों के बीच चकापाद में अपना आश्रम बनाया स्वामी जी ने भजन मंडलियों के माध्यम से अपने कार्य को बढ़ाया। उन्होंने 1,000 से भी अधिक गांवों में भागवत घर टुंगी स्थापित कर श्रीमद्भागवत की स्थापना की। उन्होंने हजारों कि.मी पदयात्रा कर वनवासियों में हिन्दुत्व की अलख जगाई। स्वामी जी ने 1986 में जगन्नाथ रथ का प्रारूप बनवाकर उस पर श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा की प्रतिमाएं रखवाईं। इसके बाद उसे वनवासी गांवों में ले गये। वनवासी भगवान को अपने घर आया देख रथ के आगे नाचने लगे। तीन माह तक चली रथ यात्रा के दौरान हजारों लोगों की घरवापसी हुई । उन्होंने नशे और सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति हेतु जनजागरण भी किया।
स्वामी जी धर्म प्रचार के साथ ही सामाजिक व राष्ट्रीय सरोकारों से भी जुड़े थे। कार्यक्रम मे भगवानाराम,भगीरथ,
जगदीश,सोमेश,ऋषिकेश सहित अनेक भक्त उपस्थित रहे।
स्वामी जीतनाथ जी
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