रतननगर- कस्बे के प्रथम आईएएस व रेवेन्यु बोर्ड राजस्थान के पूर्व चैयरमेन रहे रतननगर के विकास पुरूष पं. राधाकृष्ण चतुर्वेदी की 47वीं पुण्यतिथि मनाई गई। मुख्य अतिथि रतनगढ विधायक अभिनेष महर्षि थे। मुख्य अतिथि विधायक अभिनेष महर्षि ने पं. राधाकृष्ण चतुर्वेदी की पुण्यतिथि पर रतननगर चैराहे पर स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद कस्बे के गणमान्यजनों, उनके परिजनों व उनके शुभचिंतको ने भी रतननगर चैराहे पर स्थापित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित कर उन्हें याद किया। कार्यक्रम में सोशियल डिस्टेंस का विशेष ध्यान रखा गया।
मुख्य अतिथि रतनगढ विधायक अभिनेष महर्षि ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजस्थान एकीकरण के दौरान आईएएस बनकर राज्य में विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे पं. राधाकृष्ण चतुर्वेदी का जीवन संघर्ष से सफलता एवं सेवा भावना की एक मिसाल है। वे सामान्य पृष्ठभूमि से निकलकर विभिन्न विभागों में उच्च पदों पर कार्य करते हुए उन्होंने अपनी अनुकरणीय सेवाएं दीं। उनका जीवन आज के युवाओं के लिए एक मिशाल है तथा हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
उनके पुत्र महेश चंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि आज की पीढ़ी को यह सुनकर ही अचंभा होता होगा कि कैसे उस जमाने में लोग पैदल चलकर स्कूल जाते थे और बिना बिजली के पढ़ाई करते थे। वह बहुत ही संघर्ष का समय था और सम्पन्न लोगों के पास भी ज्यादा साधन व सुख-सुविधाएं नहीं होती थी। ऐसे दौर में पं. चतुर्वेदी ने दीपक की रोशन में पढाई करते हुए पैदल स्कूल जाकर अद्भुत सफलता हासिल की। वे देवभाषा संस्कृत के परम हितैशी थे।
उनके पौत्र अखिलेश चतुर्वेदी ने पं. चतुर्वेदी के व्यक्तित्व व कृतित्व की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि चतुर्वेदी के प्रयासों से ही बीकानेर महाराजा सार्दुल सिंह ने रतननगर से देपालसर स्टेशन तक सड़क और बिजली की स्वीकृति दी थी। वे अपनी जन्म भूमि रतननगर के प्रति समर्पित थे। उन्होंने मातृभूमि का ऋण उतारते हुए रतननगर में बिजली, पानी, सड़क, स्कूल, स्थापित करवाये तथा औषधालय आदि की सुविधा प्रदान करवाई।
कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों के मुंह पर मास्क लगाया तथा हाथों को सैनेटाइजर किया गया
92वर्षीय वयोवृद्ध साहित्यकार मुरारीलाल महर्षि ने चतुर्वेदी के जीवन से जुड़े अनेक संस्मरण बताते हुए कहा कि वे रतननगर के अनमोल रतन थे, उन्होंने समाज परिवार को शिक्षित किया व योग्यता अनुसार सैंकड़ो लोगों को नोकरी दिलाई तथा आर्थिकरूप से कमजोर व जरूरतमंद परिवारों की मदद की थी। इस प्रकार के युगपुरूष बहुत मुश्किल से मिलते हैं।
इस मौके पर सुनीता चतुर्वेदी, डा. अक्षत चतुर्वेदी, नेहा चतुर्वेदी, इंजी. आयुष चतुर्वेदी, डा. अरूण, डा. पदमा, नरेंद्र चतुर्वेदी, दिनेश चतुर्वेदी, अमित, पदमा देवी, सम्पतलाल कटारिया, जितेंद्र धरेंद्रा आदि मौजूद थे।
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