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विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी- आचार्य राम गोपाल सैनी (फतेहपुर शेखावाटी) Rich of distinguished personality - Acharya Ram Gopal Saini (Fatehpur Shekhawati)

फतेहपुर निवासी 69 वर्षीय विद्वान एवं समाजसेवी आचार्य राम गोपाल सैनी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं।
    आप संस्कृत में शास्त्री,आचार्य एवं शिक्षाशास्त्री उपाधियां प्राप्त करकर सन1972 में मात्र 21 वर्षों की वय में प्राध्यापक बने तथा 25वर्षों की वय में प्रधानाचार्य बन गये।आपने 35 वर्षों तक प्रधानाचार्य रहकर जांगिड़ वैदिक वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय, फतेहपुर को नई ऊँचाइयों पर पहुचाया। अप्रैल 2011 में सेवानिवृत्त होने के उपरांत फतेहपुर के 100 वर्ष पुराने स्नातकोत्तर स्तरीय शिक्षण संस्थान "सेठ गो.रा.चमड़िया आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, फतेहपुर" के प्रबंधकों ने आपसे प्राचार्य पद ग्रहण करने का आग्रह किया।
तब आपने यहाँ प्राचार्य बनकर 8 वर्षों तक कालेज का संचालन किया।
 विभिन्न शास्त्रों का स्वाध्याय करना एवं सभाओं में शास्त्रीय विषयों पर व्याख्यान करना आपकी अभिरुचि है। आज 69 वर्षों की वय में भी आपका स्वाध्याय व लेखन सतत जारी है।
    आप कुशलवक्ता,मंचसंचालक,
लेखक,कवि,संपादक,पत्रकार, समाजसेवक,संगठनसंचालक,
आकाशवाणी-वार्ताकार, आर्य समाजी पुरोहित आदि बहुत कुछ हैं।                                            
आपने निम्नांकित पुस्तकों का सम्पादन एवं लेखन किया है--
दीक्षा,गोमहिमा,माटी की महक,एक शख्स अपना सा,भारतीय संस्कृति।
क्रांतिकारी समाजसुधारक महात्मा ज्योतिराव फूले,माली जाति का इतिहास एवं सैनी समाज के जागरूक लोग  शीर्षक पुस्तकों का लेखनकार्य प्रगति पर है।                                               
 आप "महात्मा फूले जागृति " मासिक के संपादक तथा सैनी लहर पाक्षिक जयपुर,सैनी सेतु टाइम्स,मासिक लाडनूँ,शेखावाटी चाणक्य पाक्षिक चूरू के उप सम्पादक हैं।                             
 आचार्य जी आर्यसमाज ,अणुव्रत
आन्दोलन, सर्वोदय,आचार्यकुल, अहिंसा प्रशिक्षण केन्द्र,महात्मा फूले,डा.भीमराव अंबेडकर, साहित्यिक सभाओं  आदि के अभियानों से जुड़े हुए हैं।
  आर्य हिन्दु  संस्कृति का प्रचारप्रसार करना  आपके जीवन का ध्येय है।महात्मा गांधी,आचार्य विनोबा भावे,स्वामी दयानंद सरस्वती एवं महात्मा ज्योतिराव फूले से आप प्रभावित हैं।
    नियमित रूप से योगासन करना,सादा जीवन,उच्चविचार,  स्वदेशी आपनाओ,महिलाजारण आदि  आपकी प्रवृत्तियां हैं।
वरिष्ठ आयु में भी सामाजिक कार्यों में आपकी सक्रियता सराहनीय है।
     राजस्थान के अतिरिक्त कोलकाता,बौद्धगया,पटना,  बरआने-बिहार,दिल्ली,भोपाल आदि नगरों/महानगरों में आपके अभिनन्दन हो चुके हैं।
     वेदों पर आचार्य जी का अच्छा अधिकार है।
 ऐसी विशिष्ट विभूति को हमारा शत शत नमन।

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