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*आओ अब लौट चले..**हमें लौटना होगा अपनी जड़ों की ओर... अपनानी होगी-पूर्वजो वाली-जीवनशैली, आहार, व्यवहार, विचार, संस्कार और योग- प्राणायाम,व्यायाम---*क्या लगता है आपको, 30 जून के बाद एकाएक कोरोना चला जायेगा, हम पहले की तरह जीवन जीने लगेंगे ?*नही, कदापि नही।*ये वायरस अब हमारे देश में जड़ें जमा चुका है, हमे इसके साथ रहना सीखना पड़ेगा।कैसे ?सरकार कब तक लॉक डाउन रखेगी ?कब तक बाहर निकलने में पाबंदी रहेगी ?हमे स्वयं इस वायरस से लड़ना पड़ेगा, अपनी जीवन शैली में बदलाव करके,अपनी इम्युनिटी स्ट्रांग करके।हमे सैकड़ों साल पुरानी जीवन शैली अपनानी पड़ेगी।शुद्ध आहार लें, शुद्ध मसाले खाएं।आंवला, एलोवेरा, गिलोय, तुलसी, काली मिर्च, लौंग, जड़ी-बूंटी वाली औषधीया,इम्युनिटी बूस्टर टॉनिक आदि आदि।एन्टी बाइटिक्स के चंगुल से खुद को आज़ाद करें।अपने भोजन में पौष्टिक आहार की मात्रा बढ़ानी होगी, फ़ास्ट फ़ूड, पिज़्ज़ा , बर्गर, कोल्ड्रिंक को भूल जाइये ।अपने बर्तनों को बदलना होगा, एल्युमिनियम, स्टील आदि से हमे भारी बर्तन जैसे पीतल, कांसा, तांबा, मिट्टी को अपनाना होगा जो प्राकर्तिक रूप से वायरस को खत्म करते हैं।अपने आहार में दूध, दही, छाछ-राबड़ी, घी की मात्रा बढ़ानी होगी।भूल जाइए जीभ का स्वाद, तला-भुना मसालेदार, होटल वाला *कचरा* ।कम से कम अगले 2 -3 साल तक तो ये करना ही पड़ेगा।तभी हम सरवाइव कर पाएंगे।जो नही बदले वो खत्म हो जाएंगे।इस बात को मान कर इन पर अमल करना शुरू कर दें।..अभी समय है अपने आप को बदलने का... स्वयम् बदल जाईये.. नही तो समय बदलेगा ही.

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