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राजस्थान का सैनी माली आरक्षण आंदोलन Saini Mali reservation movement of Rajasthan


राजस्थान में सैनी,माली कुशवाहा ,शाक्य तथा मौर्य जातियों की बहुत बड़ी जनसंख्या निवास करती है। राजस्थान के प्रायः सभी जिलों में इन जातियों के लोग निवास करते हैं। राजस्थान में इन जातियों की जनसंख्या लगभग 12% है। इन जातियों के लोग कृषि बाड़ी का कार्य तथा मेहनत मजदूरी कर कर अपना रोजगार चलाते हैं। बहुत मेहनती कौमें होकर भी इनका शैक्षणिक, व्यावसायिक ,राजकीय सेवा,औद्योगिक क्षेत्र आदि में समुचित विकास नहीं हुआ है। यह कौम सब्जी ,अन्न, दूध आदि का उत्पादन कर कर समाज एवं प्रदेश की बहुत सेवा करती है। देश आजाद होने से अब तक बहुत सी अन्य जातियां हर क्षेत्र में काफी विकास कर गई हैं,  किंतु यह जाति अब तक सरकारी नौकरियों में तथा राजनीतिक क्षेत्रों में बहुत पिछड़ी रही है। गरीब कौम होने के कारण राजनीतिक क्षेत्रों में यह  आगे नहीं बढ़ पाई है। पिछले 75 सालों में ये जातियां अपने अधिकारों के प्रति सुप्त रही हैं।
   अब पिछले 2 सालों में इस  जाति में कुछ जागृति आई है। भरतपुर जिले के श्री मुरारी लाल सैनी  के नेतृत्व में सैनी,माली तथा कुशवाहा बंधुओं ने सैनी माली आरक्षण संघर्ष समिति गठित कर कर  अपने अधिकारों को पाने के लिए आंदोलन का बिगुल बजाया है। एक साल पहले इन्होंने भरतपुर में हाईवे रोककर आंदोलन शुरु किया था। उस समय राज्य सरकार ने आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया था कि आपकी मांगो पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी तथा आपके हक आपको दे दिए जाएंगे। किंतु 1 साल बीत जाने पर भी उन मांगों को स्वीकार नहीं किया गया।तब समाज को दुबारा आंदोलन शुरू करना पड़ा। श्री मुरारी लाल सैनी एवं उनके आंदोलनकारी साथियों ने भरतपुर में हाईवे को जाम किया है ।इसके अलावा झुंझुनं जिले के उदयपुरवाटी क्षेत्र में एवं राजस्थान के अन्य स्थानों पर भी धरने प्रदर्शन चल रहे हैं। यही कारण है कि इस अप्रैल        माह में आरक्षण संघर्ष समिति को भरतपुर जिले में हाईवे जाम कर कर आंदोलन करना पड़ रहा है। झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी क्षेत्र में तथा राजस्थान के कई अन्य स्थानों पर भी धरने प्रदर्शन चल रहे हैं किंतु इन सब के बावजूद भी अभी तक आंदोलनकारियों की मांगों को नहीं माना गया है।
इस बात से सैनी ,माली, कुशवाहा,शाक्य एवं मौर्य 
समाज क्षुब्ध है।  राजस्थान का पूरा  सैनी,माली, कुशवाहा समाज इस आंदोलन के समर्थन में है। राजस्थान सरकार को एवं केंद्र सरकार को आंदोलनकारियों की मांगों को शीघ्र पूरा करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया और आंदोलन की उपेक्षा की गई तो पूरे राजस्थान के सैनी माली कुशवाहा शाक्य एवं मौर्य समाज को आंदोलन की राह पर उतरना  पड़ सकता है। अतः राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को शीघ्र से शीघ्र सैनी माली समाज को उसके वाजिब हक देने की कार्यवाही करनी चाहिए। सरकारी नौकरियों में तथा निर्वाचन से भरे जाने वाले प्रतिनिधित्व के पदों पर 12% आरक्षण इन जातियों को दिया जाना चाहिए। यद्यपि इन्हीं जातियों के व्यक्ति श्रीमान अशोक गहलोत साहब राजस्थान सरकार की बड़ी कुर्सी पर विराजमान हैं तो भी लगता है वे  किन्हीं राजनैतिक 
 मजबूरियों के चलते इस आंदोलन की  मांगों को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। राजस्थान का सैनी माली कुशवाहा समाज हर संकट में कांग्रेस पार्टी एवं श्री अशोक जी गहलोत के साथ खड़ा रहा है।  अतः कांग्रेस सरकार को चाहिए  कि वह "सैनी आरक्षण संघर्ष समिति" की मांगों को जल्दी से जल्दी पूरा करे ।यदि ऐसा नहीं हुआ तो विवश होकर इन जातियों को कांग्रेस पार्टी से अपना समर्थन वापस लेना पड़ सकता है।

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