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अलहदा शख्सियत जसवंत सिंह" Jaswant Singh

लिखना वही चाहिए जो कि इतिहास हो। 

लोग बड़े से बड़े पद पर पहुंच जाते हैं, परंतु उस मुकाम को हासिल करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। जो कि जसवंत सिंह जी ने हासिल किया था ।

छोटे से गांव से उठकर देश के विदेश, वित्त और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण तीनों विभाग संभालने वाले इस कद्दावर राजनेता ने कंधार एरोप्लेन हाईजैक केस में विदेश मंत्री जैसे जिम्मेदार पद पर होते हुए, स्वयं आतंकवादियों के गढ़ कंधार में जाकर अपहृत हुए भारतीय लोगों को सकुशल छुड़वाने में जो साहसिक भूमिका निभाई थी। वह एक इतिहास है। 

वाक्सुर लोग स्वयं अपनी खुद की बडा़ई कितनी भी कर ले, परंतु बड़ाई वह हैं, जो कि दुनिया करे, जमाना करें। जसवंत सिंह जी ने विदेश मंत्री रहते हुए जो साहसिक कार्य किया, वह हर कोई नहीं कर सकता। क्योंकि मैंने तो आज तक न तो देखा है, न सुना है कि कोई राजनेता खुद युद्ध या किसी आतंकवादी हमले के मोर्चे पर गया हो ? 

यह एक बहुत बड़ा सत्य है कि किसी आतंकवादी हमले या युद्ध के मोर्चे पर जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए लोग जाते हुए कतराते हैं। पर एक विदेश मंत्री अफगानिस्तान चला जाए और वह भी आतंकवादियों के गढ़ में।

सेल्यूट है, इस महान योद्धा को। 

ऊंचे से ऊंचे पद पर रहे जसवंत सिंह जी सदा ठेठ राजस्थानी अंदाज में रहे। राजस्थानी भाषा को जिस अपणायत के साथ वे बोलते थे, वह एक मिसाल थी। मंत्री के तौर पर पाकिस्तान का दौरा और फिर बलूचिस्तान जाकर हिंगलाज माता के दर्शन करना। धर्म की राजनीति करने वाले दल में रहकर भी जिन्ना जैसे विवादित व्यक्तित्व पर पुस्तक लिखना, हर किसी के बस की बात नहीं है। तब ही तो वे जसवंत थे। प्रसिद्ध लेखक खुशवंत सिंह ने एक बार जसवंत सिंह जी पर आर्टिकल लिखा था "अलहदा शख्सियत जसवंत सिंह"।

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