राबड़ी का सेवन करके मनाया गया राबड़ी दिवस |
ग्राम- सांखू ,तहसील- लक्ष्मणगढ़, जिला-सीकर में ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी 30 मई 2025 को राबड़ी दिवस राबड़ी का सेवन करके मनाया गया , और वृक्ष मित्र श्रवण कुमार जाखड़ ने राबड़ी की महता को बताते हुए बताया कि राबड़ी का महत्व बताने के लिए यह दिवस मनाया जाता है |गांवो में जहां आज भी घरों में मोटे अनाज की राबड़ी बनती है| जो खाने में पौष्टिक होती है |जबकि शहरों में इसका प्रचलन कम हो गया है| हालांकि अभी इसका प्रचलन गांवो में भी कम हो रहा है |आज अब आधुनिकता की दौड़ में हमारा खानपान ब्रांड पर निर्भर हो गया है| असली सुपर फूड है राबड़ी | राबड़ी का देसी व्यंजन रेगिस्तान की जलवायु से सीखा गया एक भोजन है जो कम जल,कम ईंधन और बिना किसी प्र संस्करण के पोषण देता है |रेगिस्तान की राबड़ी जलवायु ज्ञान की मिठास है| केवल एक थीम ही नहीं बल्कि एक आहवन है कि हम भोजन में फिर से परंपरा ,प्रकृति और स्थानीयता को स्थान दें |यह दिवस हमारी थाली को टिकाऊ बनाकर धरती के प्रति जिम्मेदारी निभाने का अवसर है| जिस तरह हमारे पुरखे राबड़ी बनाते थे उसी तरह मोटा अनाज बाजरा ,मक्का, गेहूं और जों का दलिया और छाछ को मिलाकर राबड़ी बनाई जाती है| वर्तमान में युवा पीढ़ी पुराने खान-पान से अनभिज्ञ होती जा रही है| राबड़ी का स्थान नाश्ते के रूप में पिज़्ज़ा, बर्गर ,चाऊमीन आदि ने ले लिया है| हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं| ऐसे में आमजन और युवाओं को राबड़ी के प्रति जागरूक करने के लिए आज शहरों में घर घर में राबड़ी बनाई जाए |मोटे अनाज का जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है| बाजरा जैसा मोटा अनाज पौष्टिकता से भी भरपूर है |जैसे गुणकारी व पीडियो से परखे भोजन को छोड़कर हमने स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए घातक खान-पान को अपना लिया है |राबड़ी का नियमित सेवन करने से डायबिटीज, ब्लड प्रेशर ,हार्ट-अटैक सहित अनेक बीमारियों से छुटकारा मिलता है| मोटे अनाज से अनेक रोग कम होते हैं | अतः में नियमित रूप से राबड़ी का सेवन करना चाहिए |इस अवसर पर वृक्ष मित्र श्रवण कुमार जाखड़ ,योगेश कुमार जाखड़ ,सुमित कुमार जाखड़, प्रियांशु जाखड़ सहित सभी ने राबड़ी का सेवन करके राबड़ी दिवस में हिस्सा लिया |
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